Ganesh Ji Mantra – गणेश जी के मंत्र
मंत्र- 1
वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
गणेश जी का ये मंत्र सबसे अधिक लोकप्रिय है। इस मंत्र का अर्थ ये है कि जिनकी सुंड घुमावदार है, जिनका शरीर विशाल है, जो करोड़ सूर्यों के समान तेजस्वी हैं, वही भगवान मेरे सभी काम बिना बाधा के पूरे करने की कृपा करें।
मंत्र – 2
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।
नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।
इस मंत्र में गणेश जी की विशेषताएं बताई गई हैं। जैसे गणेश जी विघ्न हरने वाले हैं, वर देने वाले हैं, देवताओं के प्रिय हैं, लंबोदर हैं, सभी कलाओं के जानकार हैं, संसार का भला करने वाले हैं, जिनका मुख गज के समान है, जो वेद और यज्ञ से सजे हुए हैं। देवी पार्वती पुत्र को नमस्कार है। हे गणनाथ, आपको हम नमस्कार करते हैं।
मंत्र – 3
अमेयाय च हेरंब परशुधारकाय ते।
मूषक वाहनायैव विश्वेशाय नमो नमः।।
हे हेरंब (गणेश जी का एक नाम), आपको किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता है। आप पशुओं को अपनाते हैं। आपका वाहन एक चूहा है। आप पूरे संसार के अधिपति हैं, आपको बार-बार नमस्कार है।
मंत्र – 4
एकदंताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नमः।
प्रपन्न जनपालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
इस मंत्र में कहा गया है, जिनका एक दांत है, सुंदर मुख है। उन्हें नमस्कार है। जो शरण में आए लोगों की रक्षा करते हैं, जो सभी प्राणियों के दुखों को दूर करते हैं, उन्हें नमस्कार है।
मंत्र – 5
एकदंताय विद्महे, वक्रतुंडाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात।।
इस मंत्र कहा गया है कि एकदंत को हम प्रणाम करते हैं। वक्रतुंड भगवान का हम ध्यान करते हैं। दंती यानी गणेश जी हमारा कल्याण करें।
मंत्र – 6
ॐ गं गणपतये नमः।।
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